हर प्रेमी जोड़ा चाहता है उसका प्रेम उसके साथ हमेशा रहे और दोनों एक दूसरे के साथ जीवन बिताएं। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं हो पाता, कई बार लोग काफी जद्दोजहद करने पर भी अपने प्यार को नहीं हासिल कर पाते। अगर आप प्यार करते हैं लेकिन आपके घर वाले इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे मां बताएंगे जहां फरियाद करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।
देश के कई मंदिर अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। मनोकामनाएं पूरी करने के लिए लोग बड़ी श्रद्धा के साथ इन मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते है। जोधपुर में भी एक ऐसा ही मंदिर है इश्किया गजानंद मंदिर। जोधपुर शहर के परकोटे में स्थित गणेश जी का मंदिर भी प्रेमी जोड़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। यहां कई जोड़े अपनी शादी की मुराद लेकर आते हैं तभी तो स्थानीय लोग गणेश जी को इश्किया गजानन का मंदिर कहते हैं।
यंहा प्रेमी जोड़ों की हर मुराद पूरी होती है। यहां प्रेमी जोडे अपने प्यार फरियाद लेकर पहुंचते है। यही कारण है कि भगवान गणेश के इस मंदिन को ‘इश्किया गजानन मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं में बुजुर्गों से ज्यादा युवा आते हैं।
जूनी मंडी स्थित इस मंदिर में युवा अपने रिश्ते की मनोकामना लिए गजानंद भगवान के दर्शन करने पहुंचते है। इमान्यता है कि शादी की चाह रखने वाले युवा अगर इस मंदिर में आकर मन्नत मांगते हैं तो उनकी रिश्ता जल्द ही तय हो जाता है। यहां मन्नत मांगने पर रिश्ता बहुत जल्दी तय हो जाता है।
इस नाम से पहले गणेश जी के इस मंदिर को गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोगों की माने तो शादी से पहले प्रेमी जोड़ा पहली मुलाकात के लिए इस मंदिर में आया करते थे। लोग बताते हैं कि शादी से पहले कपल्स पहली मुलाकात करने के यहां आया करते थे।
बाद में यहां प्रेमी जोड़े भी आने लगे। लोग कहते हैं कि जब गणपति प्रेमी जोड़े की मुरादे पूरी करने लगे तो यह मंदिर इश्किया गजानन के नाम से मशहूर हो गया। बताया जाता है कि यहां आनेवाले अधिकांश जोड़े अपने प्यार की फरियाद लेकर पहुंचते हैं और दुआ मांगते हैं कि उनकी शादी हो जाए।
लोग कहते हैं कि इश्किया गजानन यहां आनेवाले सभी फरियादियों की मनोकामना पूरी करते हैं। इस कारण यहां प्रत्येक बुधवार को प्रेमी युगलों का जमावड़ा लगा रहता। यह ऐसे स्थान पर बना हुआ है कि इसके आगे खड़े लोग दूर से किसी को आसानी से नजर नहीं आते।
इस मंदिर के पुजारी बताते है कि उनके परिवार के सदस्यों को खुदाई में एक गणपति प्रतिमा मिली थी। इस प्रतिमा को पहले एक पीपल के नीचे प्रतिष्ठित कर दिया गया। बाद में यहां पर एक मंदिर में इसे स्थापित किया गया। बरसों से लोगों की मान्यता इस मंदिर के प्रति बढ़ती जा रही है।