कहते हैं कि यदि कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कोई मुश्किल राह में आड़े नहीं आती। मैन्स एग्जाम के 24 दिन पहले एक्सीडेंट में घायल हो गए। उल्टे हाथ में गंभीर चोट आई। बैठकर पढ़ नहीं सकते, लेकिन अपना सपना व जिद को पूरा करने के लिए रात दिन एक कर दिए। दिल्ली छोड़कर घर नहीं गए। माता-पिता को बुलाकर पढ़ाई शुरू की। समय कम था दिनभर में 17 घंटे पढ़े। चोटिल होने के बाद भी एग्जाम दी और अपने परिवार के पहले आईएएस बने। यह जिद की कहानी है। युवा आईएएस अमन वैष्णव की।
मध्य प्रदेश के धार जिले में बतौर सहायक कलेक्टर की जिम्मेदारी संभालने आए उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले आइएएस अमन वैष्णव (IAS Aman Vaishnav) ने न केवल परिस्थितियों को ठेंगा दिखाया बल्कि सफलता प्राप्त कर कई लोगो के लिए आदर्श बन गए। आइएएस तक के मुकाम को हासिल करने की उनकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। आइये जानते हैं कि उन्होंने कैसे अपने आइएएस बनने के सपने को हकीकत में बदला…
प्रशिक्षु आईएएस अमन वैष्णव झांसी के रहने वाले हैं। वैष्णव ने बताया कि पहले ही प्रयास में उनका आईएएस में चयन हो गया था। पिता रामसेवक श्रीवास रेलवे में नौकरी करते हैं। 12वीं के बाद दिल्ली तैयारी के लिए चले गए। जहां हिंदू कॉलेज से बीए (राजनीति) में किया। इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी की। पहले ही प्रयास में 2017 में एग्जाम देने के बाद 2018 में चयन हो गया। 10 माह मसूरी में ट्रेनिंग के बाद मप्र का धार जिला मिला है। इसके बाद मसूरी में फिर प्रशिक्षण के बाद किसी भी जिले में नियुक्ति होगी।
परीक्षा से 24 दिन पहले हादसा
दरअसल, अमन को 28 अक्टूबर, 2017 को मुख्य परीक्षा देनी थी लेकिन परीक्षा से 24 दिन पहले ही एक दुर्घटना में वह जख्मी हो गए। हाथ में आई गंभीर चोट के कारण बैठकर पढ़ाई करना मुश्किल था लेकिन उन्होंने सपना पूरा करने की जिद नहीं छोड़ी। समय कम था इसलिए एक दिन में 17-17 घंटे तक पढ़ाई की। यहां तक कि दिल्ली छोड़कर घर भी नहीं गए और माता-पिता को अपने पास ही बुला लिया।
अंग्रेजी में कमजोर तो न्यूज़ पेपर को बनाया सहायक
वैष्णव ने बताया कि अंग्रेजी बोलने में कमजोर था। इसके लिए 3 से 4 घंटे अंग्रेजी न्यूज पेपर पढ़ता था। शब्द कोश बढ़ा। इसके बाद भी झिझक थी, लेकिन फिर कोचिंग की मदद से उसे दूर किया। समाज और सोच को विकसित करने के लिए नॉवेल भी पढ़ता था। इससे मुझे इंटरव्यू में फायदा मिला।
अमन वैष्णव के सफलता मंत्र
- अपने कमियों को दूर करें।
- कभी निराश नहीं होना चाहिए।
- ग्रुप डिस्कशन करें।
- हमेशा टारगेट बनाकर चलें।
- इंटरव्यू में कांफिडेंस रखें।
पहली ही बार में पास की परीक्षा
आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने पहली बार में यह परीक्षा पास की। अभी वे प्रशिक्षु हैं और उनको 10 माह के लिए धार जिले में सहायक कलेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके बाद मसूरी में फिर प्रशिक्षण के बाद किसी भी जिले में नियुक्ति होगी। उनके पिता रामसेवक श्रीवास रेलवे में नौकरी करते हैं। अमन बताते हैं कि 12वीं की परीक्षा देने के बाद तैयारी के लिए वे दिल्ली चले गए, जहां हिंदू कॉलेज से राजनीति शास्त्र में बीए किया। इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी की।
खुद पर आत्मविश्वास रख सुरु करे तैयारी
अमन वैष्णव ने बताया कि इंटरव्यू में आपके सब्जेक्ट के अलावा भी सवाल पूछे जाते हैं। आपको खुद पर आत्मविश्वास रखना चाहिए। वे जवाब के साथ आपका कांफिडेंस भी परखते हैं। अखबार पढ़ने से भी मदद मिलती है। वैष्णव ने बताया कि उनके दिन की शुरुआत न्यूज पेपर पढ़ने के साथ होती है। कभी बाइक से तीन से चार किमी दूर अखबार लेने जाना पड़ता था। लेकिन अखबार पढ़ने के बाद ही आगे काम शुरू करता था। अमन ने बताया कि वे जिले के टॉपर रहे हैं। 12वीं में उन्हें 97 प्रतिशत अंक मिले थे। इसके बाद अपना सपना पूरा करने के लिए दिल्ली चले गए।
स्वच्छता पर पूछा गया सवाल तो दिया ये जवाव
अमन वैष्णव ने बताया कि इंटरव्यू में स्वच्छता का एक सवाल पूछा गया था। आज कल राजनेता पहले कचरा फैलाकर नई झाडू लेकर सफाई करते हैं। इसे आप क्या मानते हैं। जिस पर मैंने कहा कि 70 साल बाद आज राजनेता झाडू तो उठा रहे हैं। यह पहला स्टेप है। इसके अलावा समाज से जुड़े कुछ सवाल थे।